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Our experienced Pandits perform each ceremony with care and devotion, ensuring a meaningful experience for you and your loved ones. With our dedication to Sanatan Dharma and authenticity, we believe that each ritual should be done with devotion and purpose, making every ceremony special and impactful.

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हरिद्रा लेप

हरिद्रा लेपन (हल्दी सरेमनी)

 सनातन हिन्दू धर्म में विवाह संस्कार के समय विभिन्न शास्त्रीय विधियां, वैदिक कर्मका

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कर्णवेध संस्कार

कर्णवेध संस्कार

जिस संस्कार में विधिपूर्वक सर्वप्रथम बालक का दाहिना एवं बालिका के बाएं कान का छेदन किया जा...

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गर्भाधान

गर्भाधान संस्कार

 गर्भ+आधान। आधान का अर्थ है स्थापित करना।

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वेदारम्भ

वेदारम्भ संस्कार

उपनयन संस्कार के पश्चात् वेदारम्भसंस्कार होता है।

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उपनय

उपनयन संस्कार

उपनयन ="उप " उपसर्ग पूर्वक  "नी " धातु से ल्यु प्रत्यय करने पर उपनयन शब्द का निर्माण होता...

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अक्षरारम्भ

अक्षरारम्भ (अक्षरज्ञान)

इस संस्कार को लोक व्यवहार में विद्यारम्भ संस्कार अथवा पाटी पूजन के नाम से भी जाना जाता है।...

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चूड़ाकरण

चूड़ाकरण संस्कार (मुण्डन)

  चूडा शब्द शिखा का पर्यायवाची है, जिस संस्कार में बालक को शिखा (चोटी) धारण करायी जाती है,

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अन्नप्राशन

अन्नप्राशन संस्कार

शिशु को प्रथम बार तरल, स्वादिष्ट,मधुर, सात्विक एवं पवित्र अन्न खिलाया जाता है|

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निष्क्रमण

निष्क्रमण संस्कार एवं सूर्यावलोकन

निष्क्रमण का अर्थ है शिशु को प्रथम बार घर से बाहर निकालना। आचार्य पारस्कर का कथन है

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जातकर्म

जातकर्म संस्कार

जन्म के बाद जो प्रथम संस्कार होता है ,उसे जातकर्म संस्कार कहते हैं।

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सीमन्तोन्नयन

सीमन्तोन्नयन संस्कार

 सीमन्त तथा उन्नयन इन दो शब्दों के योग से सीमन्तोन्नयन सिद्ध हुआ है।

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पुंसवन संस्कार

पुंसवन संस्कार

गर्भाधान संस्कार के अनन्तर पुंसवन संस्कार का क्रम आता है।

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श्री राम सहस्रनाम स्तोत्र

श्री राम सहस्रनाम स्तोत्र

रमन्ते योगिनो अस्मिन् इति राम ,अर्थात् योगीजन जिसमें रमण करते हैं,

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प्रतिष्ठानों

प्रतिष्ठानों में नित्य पूजन

बृहद् प्रतिष्ठानों एवं कार्यालयों में वैभव (सम्पदा) वृद्धि के लिए वैदिक पण्डितों द्वारा नि...

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विष्णुसूक्त

विष्णु सूक्त पाठ एवं हवन

सर्वव्यापक होने के कारण परमेश्वर का एक नाम विष्णु भी है।

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नारायणसूक्त पाठ एवं हवन

नारायण सूक्त पाठ एवं हवन

 समस्त जीव समूह को नार संज्ञा दी गयी है और उन समस्त जीवों का जो अयन (आश्रय) है,

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पुरुषसूक्त

पुरुष सूक्त पाठ एवं हवन

 वैदिक सूक्तों में पुरुषसूक्त का स्थान अत्यन्त महनीय है।

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सरस्वतीसूक्त

सरस्वती सूक्त पाठ एवं हवन

सरस्वती ज्ञान की अधिष्ठातृ देवी हैं।

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