रुद्राभिषेक पूजा का महत्व, विधि एवं लाभ

रुद्राभिषेक पूजा का महत्व, विधि एवं लाभ

रुद्राभिषेक दो शब्दों से मिलकर बना है, रूद्र और अभिषेक, रूद्र का अर्थ है दुखों को हरने वाला, जो कि भगवान शिव के विशेष रूप को दर्शाता है और अभिषेक का अर्थ होता है विभिन्न सामाग्रियों से स्नान करना। रुद्राभिषेक का अतीत पौराणिक काल से जुड़ा हुआ है। पौराणिक मान्यता के अनुसार जब भगवान राम माता सीता की खोज में लंका के लिए प्रस्थान कर रहे थे, तो इस समय उन्होंने रामेश्वरम में शिवलिंग की स्थापना की और भगवान शिव के आशिर्वाद के लिए रुद्राभिषेक किया, क्योंकि वह जानते थे कि रुद्राभिषेक के माध्यम से भगवान शिव जीवन के दुखों का निवारण और पापों का नाश करते हैं। भगवान शिव की उपासना से भगवान राम का कार्य सफल हुआ। 

रुद्राभिषेक पूजा का महत्व 

रुद्राभिषेक पूजा हिंदू धर्म में भगवान शिव को समर्पित एक प्रमुख पूजा है, जिसके माध्यम से भगवान शिव की अराधना की जाती है। धर्मशास्त्रों एवं पुराणों में प्राप्त रुद्राभिषेक पूजा अत्यंत प्रभावशाली होती है जिससे भगवान शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं एवं भक्त को मनोवांछित फल प्रदान करते हैं। भगवान शिव भक्तों के सारे दुखों को हर कर उनका जीवन सुख शांति और समृद्धि से भर देते हैं तथा भक्तजनों की कुंडली के दोष एवं ग्रहों को शांत करने में सहायक होते हैं। 

क्यों किया जाता है रुद्राभिषेक  

1. समर्पण भाव: रुद्राभिषेक पूजा भगवान शिव को समर्पित होती है, जो हिंदू धर्म में विशिष्ट देवता हैं। पूजा के माध्यम से हम उनका आभार प्रकट करते हैं, जिससे उनकी कृपा हम पर बनीं रहती है। 

2. आध्यात्मिक महत्ता: रूद्राभिषेक में शुक्ल यजुर्वेद के अंतर्गत रुद्राष्टाध्यायी के मंत्रों से भगवान शिव का अभिषेक किया जाता है। जिसमें शिव की महिमा, गुणों, और शक्तियों का व्याख्यान किया गया है और लोगों के भीतर भगवान के लिए भक्ति का भाव जगाया जाता है। 

3. धार्मिक उन्नति: रुद्राभिषेक भगवान शिव की कृपा, करूणा और आशीर्वाद को प्राप्त करने के लिए की जाती है, जिसमें धार्मिक, आध्यात्मिक एवं सांसकृतिक उन्नति के साथ आत्मिक विकास, शांति-समृद्धि, व्यापार का अभ्युदय एवं स्वास्थ्य की रक्षा होती है।  

कब करें रुद्राभिषेक पूजा 

यद्यपि रुद्राभिषेक पूजा वर्ष के किसी भी मास में करवाई जा सकती है, लेकिन पूजा के लिए श्रावण का महीना सर्वश्रेष्ठ माना जाता है, क्योंकि इस महीने में भगवान की विशेष कृपा बनीं रहती है। आचार्यों के द्वारा कुछ विशेष तिथियां निर्धारित की गईं हैं, इन तिथियों पर रुद्राभिषेक करने का विशेष महत्व होता है।  

ये तिथि प्रति महीने की कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा, चतुर्थी, पंचमी, अष्टमी, एकादशी, द्वादशी तथा अमावस्या और शुक्ल पक्ष की द्वितीया, पंचमी, षष्ठी, नवमी, द्वादशी तथा त्रयोदशी तिथि हैं, इन तिथियों को शिववास कहा जाता है। 

रुद्राभिषेक पूजा की विधि  

⦁ रुद्राभिषेक पूजा के लिए शिवलिंग की आवश्यकता होती है। घर में पूजा के लिए आपको उत्तर दिशा की ओर शिवलिंग स्थापित करना चाहिए और यदि घर पर व्यवस्था नहीं है तो आप मंदिर में जाकर रुद्राभिषेक पूजा कर सकते हैं।  

⦁ रुद्राभिषेक पूजा के दिन सभी घर वालों को स्नान कर साफ कपड़े पहनने चाहिए। 

⦁ सबसे पहले प्रथम पूज्यनीय श्री गणेश जी पूजा करें।  

⦁ रुद्राभिषेक पूजा आरंभ होने पर शिवलिंग पर गंगाजल से विधिवत स्नान करवाएं, फिर गन्ने का रस, दूध, दही, जल, पंचामृत आदि से शिवलिंग का अभिषेक करें।  

⦁ फिर महामृत्युंजय मंत्र का जप करें - "ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥"। 

⦁ शिवलिंग पर धूप, दीप, चंदन, बिल्वपत्र, फल, मिठाई और पुष्प आदि से पूजा की जाती है। 

⦁ रुद्राभिषेक पूजा में वैदिक विद्वान के द्वार रुद्राष्टाध्यायी के मंत्रों के पाठ पूर्वक विधिवत अभिषेक करवाना चाहिए। 

रुद्राभिषेक पूजा की सामग्री  

शिवलिंग 

रोली,कलावा     

सिन्दूर, लवङ्ग  

इलाइची, सुपारी  

हल्दी, अबीर  

गुलाल, अभ्रक  

गङ्गाजल, गुलाबजल  

इत्र, शहद  

धूपबत्ती, रुईबत्ती, रुई  

यज्ञोपवीत, पीला सरसों  

देशी घी, कपूर  

माचिस, जौ  

दोना बड़ा साइज,पञ्चमेवा  

सफेद चन्दन, लाल चन्दन  

अष्टगन्ध चन्दन, गरी गोला  

चावल(छोटा वाला), दीपक मिट्टी का  

पानी वाला नारियल, सप्तमृत्तिका  

सप्तधान्य, सर्वोषधि  

पञ्चरत्न, मिश्री    

पंचगव्य गोघृत, गोमूत्र 

चमेली तेल, कमलगट्टा 

काला तिल, पीली सरसो 

भस्म, चीनी 

यजमान के द्वारा की जाने वाली व्यवस्था:- 

पार्वती जी के लिए श्रृंगार 

भगवान् शिव के लिए वस्त्र धोती गमछा आदि 

गन्ने का रस :- 2 लीटर 

पान का पत्ता :- 15 पीस 

पुष्प विभिन्न प्रकार आधा किलो, मन्दार पुष्पमाला 5 पीस 

पुष्पमाला, गुलाब का पुष्प आधा किलो 

धतूर का पुष्प एवं फल :- धतूर फल एवं फूल न्यूनतम 5 पीस  

मन्दार पुष्प 

तुलसी और तुलसी मंजरी 1 मुठ्ठी 

कमलपुष्प 

बिल्वपत्र, बिल्वफल 

भांग 

रुद्राक्षमाला  

फलों का रस :- 500 ग्राम 

हरी दुर्वा घास :- 1 मुठ्ठी 

फूलों की लडी़ श्रृङ्गार के लिए 

बड़ी साइज की परात  

दूध  :-  5 लीटर 

दही  :- 250 ग्राम 

मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार  :- 2 किलो अथवा भक्तों की संख्या के अनुसार 

आम का पल्लव - 2 

अखण्ड दीपक -1 

फल :- 3 किलो अथवा भक्तों की संख्या के अनुसार 

बैठने हेतु दरी, चादर, आसन  

पीला कपड़ा सूती, तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित 

रुद्राभिषेक पूजा शिव की भक्ति, शक्ति, और सामर्थ्य को बढ़ाती है। व्यवसाय में उन्नति, गृह क्लेश शांति के लिए यह पूजा विशेष फलदायक होती है। रुद्राभिषेक व्यापारिक, व्यवसायिक आत्मिक, व्यवहारिक आदि के विकास के लिए एक मार्गदर्शक के तौर पर कार्य करती है। यदि आप भी रुद्राभिषेक पूजा करवाना चाहते हैं तो इसके लिए वैकुण्ठ आपकी मदद कर सकता है। वैकुण्ठ एक ऑनलाइन पंडित बुकिंग वेबसाइट है, जिसके माध्यम से आप घर बैठे पंडित जी की बुकिंग कर सकते हैं। 

Vaikunth Blogs

आत्मशान्ति तथा मानसिक प्रसन्नता हेतु करें  देवी प्रातः स्मरण स्तोत्र का पाठ
आत्मशान्ति तथा मानसिक प्रसन्नता हेतु करें देवी प्रातः स्मरण स्तोत्र का पाठ

जगद्जननी माँ जगदम्बा की कृपा समस्त चराचर जगत् को प्राप्त है | प्रातःकाल जागरण के पश्चात् भगवती का ध्...

जानें श्रीशिवपञ्चाक्षर स्तोत्र का महत्व
जानें श्रीशिवपञ्चाक्षर स्तोत्र का महत्व

श्रीशिवपञ्चाक्षरस्तोत्र आद्यगुरु शंकराचार्य जी द्वारा वर्णित है। यह सम्पूर्ण स्तोत्र भगवान शिव के पं...

Vivah Muhurat 2024: जानें 2024 में शुभ तिथि और मुहूर्त
Vivah Muhurat 2024: जानें 2024 में शुभ तिथि और मुहूर्त

षोडश संस्कारों का उल्लेख हमें हमारे धर्मग्रन्थों में प्रायः प्राप्त होता है । इन्हीं षोडश संस्कारों...

समस्त जगत् को आश्रय प्रदान करने वाली , तथा संतापों को हरने वाली माता पार्वती की करें यह  मत्स्य पुराण में वर्णित पार्वती स्तुति का पाठ
समस्त जगत् को आश्रय प्रदान करने वाली , तथा संतापों को हरने वाली माता पार्वती की करें यह मत्स्य पुराण में वर्णित पार्वती स्तुति का पाठ

श्री मत्स्यपुराण के अन्तर्गत भक्तप्रवर श्री वीरक के द्वारा पार्वती स्तुति की गयी है | इस स्तुति में...

कर्णवेध संस्कार की महत्ता तथा सनातन धर्म में उसकी उपादेयता ।
कर्णवेध संस्कार की महत्ता तथा सनातन धर्म में उसकी उपादेयता ।

जिस संस्कार में विधि-विधान पूर्वक बालक या बालिका के कर्ण का छेदन किया जाता है उस संस्कार विशेष को “क...

कब मनाई जाएगी साल 2024 में कृष्ण जन्माष्टमी ? जानें शुभ मुहूर्त, महत्व और व्रत विधि
कब मनाई जाएगी साल 2024 में कृष्ण जन्माष्टमी ? जानें शुभ मुहूर्त, महत्व और व्रत विधि

हिन्दू धर्म में विभिन्न प्रकार के त्यौहार\पर्व मनाए जाते हैं जिनमें से एक है जन्माष्टमी पर्व । यह पर...

 +91 |

By clicking on Login, I accept the Terms & Conditions and Privacy Policy

Recovery Account